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Sunday, June 4, 2023

राजस्थान विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ फिर खोला मोर्चा

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जयपुर:

राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर से विवाद देखने को मिल रहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोल दिया है. उन्होंने भष्टाचार का मुद्दा बनाते हुए एक दिन के लिए अनशन करने का फैसला लिया है. सचिन पायलटने कहा है कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ गहलोत सरकार ने अभी तक कार्रवाई नहीं की है. 

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 पायलट ने कहा कि लोगों को आश्वस्त करना आवश्यक है कि कांग्रेस सरकार 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले किए गए अपने बयानों और वादों पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार आबकारी माफिया, अवैध खनन, भूमि अतिक्रमण और ललित मोदी हलफनामे के मामले में कार्रवाई करने में विफल रही है. उन्होंने कहा कि चुनाव में छह-सात महीने बचे हैं तो विरोधी यह भ्रम फैला सकते हैं कि हमारी सरकार की भ्रष्टाचारियों के साथ कोई मिलीभगत है. इसलिए जल्द कार्रवाई करनी होगी ताकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लगे कि हमारी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है.

पायलट ने वसुंधरा राजे पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाते हुए गहलोत के पुराने वीडियो चलाए और पूछा कि उन्होंने इन मामलों में कोई जांच या जांच शुरू क्यों नहीं की. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के पास पूर्व की भाजपा सरकार के खिलाफ सबूत थे लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं की गई.पायलट ने कहा कि हम इन वादों को पूरा किए बिना चुनाव में नहीं जा सकते हैं.हमें जांच करनी चाहिए. हम चुनाव में जा रहे हैं.आदर्श आचार संहिता जल्द ही लागू होगी. हम लोगों के प्रति जवाबदेह हैं.

पायलट ने यह भी कहा कि उन्होंने राजस्थान में मामलों के बारे में पार्टी नेतृत्व को कई सुझाव दिए थे, और उनमें से एक इन मुद्दों पर कार्रवाई करना था. उन्होंने कहा, “यह हमारी सरकार है. हमें कार्रवाई करने की जरूरत है. इसलिए लोगों का हम पर भरोसा बना हुआ है.” बताते चलें कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लगातार टकराव देखने को मिले हैं. 

बताते चलें कि जब कांग्रेस ने 2018 में राजस्थान में चुनाव जीता था तो पायलट को कथित तौर पर गांधी परिवार की तरफ से अश्वासन मिला था कि वो गहलोत के साथ मुख्यमंत्री पद को साझा करेंगे. दो साल बाद, 2020 में पायलट ने दिल्ली के पास एक रिसॉर्ट में लगभग 20 विधायकों को अलग करके उपमुख्यमंत्री से पदोन्नति के लिए मजबूर करने की कोशिश की थी. हालांकि पायलट को इस मामले में असफलता हाथ लगी थी.  वहीं पिछले साल गहलोत ने कांग्रेस आलाकमान को अपने समर्थन में विधायकों की बैठक करवाकर नेतृत्व परिवर्तन करने की कवायद को झटका दिया था. उस समय गहलोत को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद का ऑफर दिया गया था. 

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