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Sunday, May 28, 2023

‘‘सरबत खालसा’’ की बैठक बुलाना अकाल तख्त जत्थेदार का विशेषाधिकार: एसजीपीसी

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अमृतपाल ने जत्थेदार से अमृतसर में अकाल तख्त से बठिंडा में दमदमा साहिब तक ‘‘खालसा वहीर” (धार्मिक जुलूस) निकालने और बैसाखी के दिन वहां सभा आयोजित करने की भी अपील की. मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह अमृतपाल सिंह की निजी इच्छा है. सरबत खालसा बुलाना या न बुलाना किसी और का नहीं बल्कि अकाल तख्त का एकमात्र विशेषाधिकार है.”

ग्रेवाल ने कहा कि चूंकि जत्थेदार सिख समुदाय का नेतृत्व करता है, इसलिए वह प्रत्येक निर्णय गहन विचार के साथ लेता है और सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों की राय लेता है. उन्होंने कहा, ‘‘जत्थेदार देखेंगे कि मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर क्या किया जाना चाहिए. इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमृतपाल सिंह के करीबी कई सिखों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया, जो गंभीर चिंता का विषय है.”

जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने पूर्व में पंजाब सरकार को ‘अल्टीमेटम’ दिया था कि अमृतपाल सिंह और उसके ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के खिलाफ 18 मार्च से शुरू हुई कार्रवाई के दौरान पकड़े गए सिख युवकों को रिहा किया जाए. पंजाब सरकार ने अकाल तख्त को सूचित किया था कि कार्रवाई के दौरान एहतियाती हिरासत में लिए गए सभी 360 लोगों में से 348 को अब रिहा कर दिया गया है.

ग्रेवाल ने कहा, ‘‘हाल में 27 मार्च को जत्थेदार के आह्वान पर अकाल तख्त पर 100 सिख संगठनों की एक सभा हुई थी. सभा का एकमात्र एजेंडा पुलिस की कार्रवाई के बाद बनी स्थिति पर चर्चा करना था. गहन बैठक के बाद, जत्थेदार एक तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचे और पुलिस कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किए गए सिख युवकों को रिहा करने के लिए पंजाब सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया.”

कट्टरपंथी उपदेशक और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह 18 मार्च से फरार है. पिछले महीने अमृतपाल और उसके समर्थकों ने गिरफ्तार किए गए एक आरोपी की रिहाई के लिए अजनाला थाने पर धावा बोल दिया था. हिंसा में छह पुलिस कर्मी घायल हो गए थे. अमृतपाल सिंह द्वारा जत्थेदार को ‘‘सरबत खालसा” के आयोजन के लिए किए गए अनुरोध पर, सिख विद्वान बलजिंदर सिंह ने कहा, ‘‘इसे किसी व्यक्ति की इच्छा पर नहीं बुलाया जा सकता है.” हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर जत्थेदार को ‘‘सरबत खालसा” का आयोजन करना है तो उन्हें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ कई बैठकों के बाद ऐसा करना होगा और देखना होगा कि इसकी जरूरत है या नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा जत्थेदार, कार्यवाहक जत्थेदार हैं क्योंकि उन्हें एसजीपीसी ने नियुक्त किया है.”

उल्लेखनीय है कि आखिरी ‘सरबत खालसा’ का आयोजन 16 फरवरी 1986 को हुआ था जब ज्ञानी कृपाल सिंह अकाल तख्त के जत्थेदार थे. उससे पहले एसजीपीसी की कार्यकारी समिति ने 28 जनवरी 1986 को अपनी बैठक में इसकी मांग उठाई थी.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



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