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Sunday, March 26, 2023

SEBI का सख्त रुख, OYO सहित छह कंपनियों के IPO ड्राफ्ट पेपर को किया वापस

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Upcoming IPO 2023: इन कंपनियों ने सितंबर 2021 और मई 2022 के बीच सेबी के पास आईपीओ के DRHP दाखिल किए थे

नई दिल्ली:

Upcoming IPO 2023: पेटीएम के आईपीओ की असफलता के बाद  मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) को मंजूरी देते वक्त सतर्कता बरत रहा है. SEBI ने दो महीनों में होटल चेन ओयो (OYO IPO) का संचालन करने वाली ओरावेल स्टेज (Oravel Stays Limited IPO) सहित छह कंपनियों की प्रिलिमनरी पेपर को वापस कर दिया है. इन कंपनियों को कुछ बदलाव के साथ अपनी ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को फिर से दाखिल करने को कहा गया है.

 SEBI ने OYO सहित कई ंकपनियों के DRHP को वापस लिया

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ओयो (OYO) के अलावा जिन कंपनियों के DRHP को मार्केट रेगुलेटर ने वापस किया है, उनमें गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड (Go Digit General Insurance Ltd), कनाडा स्थित फेयरफैक्स ग्रुप (Fairfax Group) समर्थित एक फर्म, घरेलू मोबाइल विनिर्माता लावा इंटरनेशनल (Lava International), बी2बी पेमेंट एंड सर्विस प्रोवाइडर पेमेट इंडिया (Paymate India), फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक इंडिया (Fincare Small Finance Bank India) और इंटीग्रेटेड सर्विस कंपनी बीवीजी इंडिया (BVG India) शामिल हैं. 

इन कंपनियों को IPO के जरिये 12,500 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद

इन छह कंपनियों ने सितंबर 2021 और मई 2022 के बीच सेबी के पास आईपीओ के कागजात दाखिल किए थे और जनवरी-मार्च (10 मार्च तक) के दौरान उनके कागजात वापस कर दिए गए थे. ये कंपनियां आईपीओ के जरिये मिलकर कम से कम 12,500 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही थीं.

आईपीओ में निवेशकों के पैसे डूबने के बाद सेबी का सख्त रुख

कुछ बेहद चर्चित आईपीओ में निवेशकों के पैसे डूबने के बाद सेबी पब्लिक इश्यू को लेकर सख्त हो गया है. प्राइमडेटाबेस डॉट कॉम के आंकड़ों के अनुसार मार्केट रेगुलेटर ने 2022 में आईपीओ को मंजूरी देने में औसतन 115 दिन का समय लिया.

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ”पेटीएम, जोमैटो और नायका जैसी नए जमाने की डिजिटल कंपनियों के सूचीबद्ध होने के बाद निवेशकों को भारी नुकसान हुआ. इसके चलते सेबी ने आईपीओ के लिए मंजूरी मानदंडों को कड़ा कर दिया है. यह निवेशकों के हित में स्वागत योग्य फैसला है.”



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