ट्वीट से भी मिला था इशारा
रिपोर्टों में कहा गया है कि पुलिस किसी भी कानून और व्यवस्था के मुद्दों से बचने के लिए उसके परिवार से बात कर रही है, ताकि उससे आत्मसमर्पण कराया जा सके. सूत्रों ने कहा, योजना के तहत पंजाब पुलिस के एक्शन से पहले केंद्र ने शनिवार को पंजाब में अतिरिक्त बल भेजा था. शुक्रवार को राज्य में जी20 की बैठक समाप्त होने के बाद खालिस्तानी नेता को गिरफ्तार करने की योजना थी. इसका इशारा पंजाब के मुख्यमंत्री के ट्वीट से भी मिला था. पंजाब के मुख्यमंत्री ने 2 मार्च को ट्वीट किया था कि उन्होंने गृह मंत्री से मुलाकात की और राज्य और केंद्र दोनों कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर मिलकर काम करने पर सहमत हुए.
कौन है अमृतपाल की पत्नी
अमृतपाल सिंह “वारिस पंजाब दे” का प्रमुख है. अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू ने “वारिस पंजाब दे” बनाया था. यह एक कट्टरपंथी संगठन है. दीप सिद्धू की पिछले साल फरवरी में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. अमृतपाल सिंह आतंकवादी भिंडरावाले का अनुयायी होने का दावा करता है और पिछले कुछ महीनों में उसने कई विवादित भाषण दिए हैं. उसने ब्रिटेन में रहने वाली एक अनिवासी भारतीय किरणदीप कौर से शादी की है.
अब तक 78 करीबी गिरफ्तार
पंजाब पुलिस शनिवार से अमृतपाल सिंह की लगातार तलाश कर रही है. हालांकि अभी तक अमृतपाल सिंह की गिरफ़्तारी नहीं हो सकी है. अमृतसर, फाजिल्का, मोगा और मुक्तसर समेत पंजाब के कई जिलों में धारा 144 लगाई गई है. पंजाब पुलिस ने शनिवार को एक बयान में कहा कि, खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के 78 करीबियों को गिरफ्तार किया गया है. सात जिलों की पुलिस ने उस स्थान को घेर रखा है, जहां अमृतपाल के छुपे होने की संभावना है. जालंधर के शाहकोट के गांव महेतपुर के पास अमृतपाल सिंह और उनके साथियों की पुलिस ने घेराबंदी की थी.
इंटरनेट बंद
पुलिस को अमृतपाल सिंह के शाहकोट आने की पहले से सूचना थी. इसीलिए पहले से ही मोगा पुलिस ने मोगा और शाहकोट के सारे रोड बंद करके बड़ा नाका लगा दिया था. पुलिस ने उसके छह साथियों को पहले पकड़ा लिया था. शाम को बाकी लोगों को गिरफ्तार किया गया. प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए पंजाब के कई इलाकों में शुक्रवार रात में 12 बजे से ही इंटरनेट को बंद कर दिया था.
अमृतपाल पर कितने केस
खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ तीन केस दर्ज हैं, जिनमें से दो मामले अमृतसर जिले के अजनाला थाने में हैं. अपने एक करीबी की गिरफ्तारी से नाराज होकर अमृतपाल ने 23 फरवरी को समर्थकों के साथ मिलकर अजनाला थाने पर हमला कर दिया था. इस केस में उस पर कार्रवाई नहीं होने के पर पंजाब पुलिस की काफी आलोचना हो रही थी.
NDTV से की थी बातचीत
अपने प्रमुख सहयोगी लवप्रीत सिंह की गिरफ्तारी के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करके अमृतपाल सिंह ने अपने कार्यकर्ता को पुलिस थाने से छुड़ा लिया था. अमृतपाल सिंह ने NDTV से बातचीत में आरोप लगाया था कि पुलिस ने उसके सहयोगी लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान सिंह के खिलाफ “झूठा मामला” दर्ज किया था, इसलिए वह और सैकड़ों “वारिस पंजाब दे” समर्थक अमृतसर के अजनाला में पुलिस से मिलने गए थे. जहां लवप्रीत सिंह को रखा गया था. अमृतपाल सिंह ने एनडीटीवी से कहा था, “मीडिया पूरे मामले को गलत तरीके से पेश कर रहा है. लवप्रीत सिंह के खिलाफ एक झूठी प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई थी. पुलिस ने लाठीचार्ज करने से पहले हमारे वाहनों को रोक दिया था.” अमृतपाल सिंह ने कहा था कि, “अगर पुलिस ने लोगों पर लाठीचार्ज नहीं किया होता तो हिंसा नहीं होती.” उसने इन आरोपों का खंडन किया था कि पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए उसने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का इस्तेमाल किया. सिंह ने कहा, “हम जहां भी जाते हैं, गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी आगे बढ़ती है.”
दुबई में एक ट्रक ड्राइवर था
जालंधर कमिश्नर कुलदीप सिंह चहल ने कहा कि वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह को भगोड़ा घोषित कर दिया गया है. उसकी दो कारों को जब्त कर लिया गया है और उसके गनमैनों को पकड़ा गया है. उनके हथियारों की वैधता की जांच की जा रही है और मामला दर्ज किया गया है. अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) को वापस भारत भेजने के पीछे पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी आईएसआई का दिमाग है, जिसका उद्देश्य विदेशी सिख अलगाववादियों की मदद से पंजाब में एक बार फिर आतंकवाद को पुनर्जीवित करना है. अधिकारियों ने यह बात कही है. उन्होंने बताया कि करीब 30 साल का अमृतपाल सिंह दुबई में एक ट्रक ड्राइवर था. आईएसआई ने भारत से बाहर स्थित खालिस्तान समर्थकों की मदद से उसे चरमपंथी बनाया ताकि वह पंजाब को फिर से आतंकवाद के काले दिनों में धकेल सके.
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