फ्लू पर केंद्र की एडवाइजरी की 10 बातें
1.पूरे भारत में बुखार और फ्लू के बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कहा है कि यह इन्फ्लुएंजा ए सबटाइप एच3एन2 वायरस (Influenza A subtype H3N2 virus) के कारण होता है.
2.मालूम हो कि H3N2 वायरस अन्य सबटाइप की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने के अधिक मामलों का कारण होता है. जानकारों का कहना है कि पिछले दो-तीन महीनों से यह पूरे भारत में व्यापक रूप से दिख रहा है.
3. इन लक्षणों में आमतौर पर बुखार के साथ लगातार खांसी शामिल है. हाल के मामलों में, बहुत सारे रोगी लंबे समय तक इन्हीं लक्षणों की शिकायत कर रहे हैं.
4.सिद्ध अस्पताल के डॉ अनुराग मेहरोत्रा कहते हैं, “संक्रमण ठीक होने में समय ले रहा है. लक्षण स्टॉन्ग हैं. रोगी के ठीक होने के बाद भी लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं.”
5.जानकारों का कहना है कि H3N2 अन्य इन्फ्लूएंजा सबटाइप की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण है.
6.क्लीनिकल ट्रायल विशेषज्ञ डॉ. अनीता रमेश का कहना है कि इन्फ्लूएंजा का नया स्ट्रेन जानलेवा नहीं है. डॉ. रमेश एनडीटीवी से कहा, “यह जानलेवा नहीं है. लेकिन मेरे कुछ मरीज़ों को सांस की समस्या के कारण भर्ती होना पड़ा. कुछ लक्षण कोविड जैसे ही हैं, लेकिन मेरे सभी मरीज़ों का टेस्ट निगेटिव आया है.”
7.ICMR ने लोगों को वायरस के संपर्क में आने से खुद को बचाने के लिए क्या करें और क्या न करें की एक सूची भी सुझाई है.
8.दूसरी ओर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने देश भर में खांसी, जुकाम और मतली के बढ़ते मामलों के बीच एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग के खिलाफ सलाह दी है.
9.एसोसिएशन ने डॉक्टरों से केवल सिम्पटोमैटिक ट्रीटमेंट ( symptomatic treatment) लिखने को कहा है न कि एंटीबायोटिक्स.
10.मेडिकल बॉडी ने एक बयान में कहा, “हमने पहले ही कोविड के दौरान एज़िथ्रोमाइसिन और इवरमेक्टिन का व्यापक उपयोग देखा है. एंटीबायोटिक दवाओं को निर्धारित करने से पहले यह पता लगाना आवश्यक है कि संक्रमण जीवाणु है या नहीं.”
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