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Sunday, March 26, 2023

5 प्‍वाइंट न्‍यूज : महाराष्‍ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्‍यारी का विवादों से रहा है पुराना नाता…!

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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल पर अति सक्रिय होने का आरोप लगाया


मुंबई: महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल (Maharashtra Governor) भगत सिंह कोश्‍यारी (Bhagat Singh Koshyari) विवादों से पुराना नाता रहा है. नए विवाद के बीच उन्‍होंने स्‍वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर “सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने” की इच्‍छा जाहिर की है. आइए बताते हैं भगत सिंह कोश्‍यारी से जुड़े कुछ बड़े विवाद…

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. पिछले वर्ष नवंबर में, भगत सिंह कोश्यारी ने मराठा सम्राट शिवाजी को “पुराने दिनों का एक प्रतीक” करार दिया. उन्‍होंने कहा था,”पहले जब आपसे पूछा जाता था कि आपका आदर्श कौन है, तो जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी जवाब हुआ करते थे. महाराष्ट्र में आपको कहीं और देखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां बहुत सारे आइकन हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज पुराने दिनों के हैं. अब बीआर अंबेडकर और नितिन गडकरी हैं भी लोगों के बीच आदर्श हैं. इसके बाद महाराष्‍ट्र में उनका काफी विरोध हुआ. 

  2. जुलाई 2022 में, कोश्यारी ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि अगर गुजरातियों और राजस्थानियों को महाराष्ट्र से बाहर कर दिया जाए, तो राज्य के पास कोई पैसा नहीं बचेगा. उन्होंने कहा था, ‘अगर महाराष्ट्र, खासकर मुंबई और ठाणे से गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाए तो यहां कोई पैसा नहीं बचेगा.’ इसे महाराष्‍ट्र के लोगों ने अपना अपमान समझा और उनका जमकर विरोध हुआ था. 

  3. मार्च 2022 में, कोश्यारी ने 19वीं सदी के समाज सुधारकों सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले का “कम उम्र में शादी करने” के लिए मज़ाक उड़ाया था. उन्होंने कहा, “सावित्रीबाई की शादी 10 साल की उम्र में हो गई थी और उनके पति उस वक्त 13 साल के थे. अब जरा सोचिए कि शादी के बाद लड़कियां और लड़के क्या सोच रहे होंगे.”

  4. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल पर अति सक्रिय होने का आरोप लगाया, जबकि कई बार तो वह बिल्कुल भी नहीं हिलते। उन्होंने बताया कि कोश्यारी ने अपने कोटे से राज्य विधान परिषद की 12 खाली सीटों को नहीं भरा है.

  5. नवंबर 2019 में, सुबह-सुबह शपथ ग्रहण समारोह में कोश्यारी ने भाजपा-शिवसेना के झगड़े के बीच देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ दिलाई. इसके बाद उनका जमकर विरोध हुआ था. हालांकि, ये सरकार ज्‍यादा टिक नहीं पाई थी.

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